कुछ काम मैंने औरतों की तरह किए
कुछ नहीं, कई
और फिर धीरे-धीरे, सारे
सबसे आखिर में जब मैं लिखने बैठा
मैंने कमर सीधी खड़ी करके
पंजों और ऐड़ियों को सीध में रखकर बैठना सीखा
इससे कूल्हों को जगह मिली
और पेट को आराम
उसने बाहर की तरफ जोर लगाना बन्द कर दिया
अब मैं अपने शफ़्फाफ नाखूनों को
आइने की...